Daaru Lekar Abhi Tak Nahi Aaya

Posted on 14th Jan 2020 by rohit kumar

 

शाम ख़ामोश है, पेड़ों पे उजाला कम है,

लौट आए हैं सभी, पर एक परिंदा कम है!

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इन पंक्तियो में कवि उस शख़्स का इंतज़ार कर रहे हैं

जिसको दारू की बोत्तल लॆनॆ भॆजा हैं!

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