Aag Bahut Si Baki Hain

Posted on 20th Jan 2020 by rohit kumar

 

भारत क्यों तेरी साँसों के, स्वर आहत से लगते हैं,

अभी जियाले परवानों में, आग बहुत-सी बाकी है।

क्यों तेरी आँखों में पानी, आकर ठहरा-ठहरा है,

जब तेरी नदियों की लहरें, डोल-डोल मदमाती हैं।

जो गुज़रा है वह तो कल था, अब तो आज की बातें हैं,

और लड़े जो बेटे तेरे, राज काज की बातें हैं,

चक्रवात पर, भूकंपों पर, कभी किसी का ज़ोर नहीं,

और चली सीमा पर गोली, सभ्य समाज की बातें हैं।

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