BHAWNA KA SVATANTRA GYAAN HAI

Posted on 25th Feb 2020 by sangeeta

तीन-चार फूल है,

आस-पास धूल है,

बाँस है -बबूल है,

घास के दुकूल है,

वायु भी हिलोर दे,

फूँक दे, चकोर दे,

कब्र पर मज़ार पर, यह दिया बुझे नहीं,

यह किसी शहीद का पुण्य-प्राण दान है।

झूम-झूम बदलियाँ

चूम-चूम बिजलियाँ

आँधियाँ उठा रहीं

हलचलें मचा रहीं

लड़ रहा स्वदेश हो,

यातना विशेष हो,

क्षुद्र जीत-हार पर, यह दिया बुझे नहीं,

यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है।

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