chhod ay hum wo teri galiyan

Posted on 14th Feb 2020 by sangeeta

जहां तेरे पैरों के कँवल गिरा करते थे

हँसे तो दो गालों में भँवर पड़ा करते थे

तेरी कमर के बल पे नदी मुड़ा करती थी

हंसी को सुनके तेरी फ़सल पका करती थी

जहाँ  तेरी एड़ी से धूप उड़ा करती थी

सुना है उस चौखट पे अब शाम रहा करती है

लटों से उलझी लिपटी रात  एक  हुआ करती थी

कभी कभी तकिये पे वो भी मिला करती है

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