DESH TABHI BNTA HAI

Posted on 15th Feb 2020 by sangeeta

अलग अलग गलियों कुचों में लोग कोन गिनता है|

साथ खड़े हों रहने वाले, देश तभी बनता है||

बड़ी बड़ी हम देश प्रेम की बात किये जाते हैं|

वक्त पड़े तो अपनों के भी काम नही आते हैं||

 

सरहद की रखवाली को सेना अपनी करती है|

पर अंदर सडकों पर लड़की चलने में डरती है||

 

युवा शक्ति का नारा सुनने में अक्सर आता है|

सही दिशा भी किसी युवा को नहीं दिखा पाता है||

Other poetry