DHARA SE DOOR CHAND

Posted on 9th Mar 2020 by sangeeta

दूर धरा से चाँद को निहारती 

होकर रागमय आनन्द उठाती 

न उसे मृत्यु का भय 

न ही अस्तित्व मिटने का अफसोस 

न ही अनभिज्ञ सूर्य के सत्य से 

बस हैं चन्द्र के प्रेम में बाँबरी 

करके बलिदान अपने जीवन का 

चन्द्र के लिए सूर्य से जीवनदान है मांगती 

अपने अनन्त प्रेम को जीवित रख सके 

ताकि कल रात फिर मिल सके 

रागिनी बनकर, रोशनी बनकर 

और फिर मिट सके शबनमी मोती बनकर ।

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