HAR RISHTA NIBHANA JANTI HAI MAA

Posted on 11th Mar 2020 by sangeeta

सुलाने के लिए मुझको, तो खुद ही जागती रही माँ

सहराने देर तक अक्सर, मेरे बैठी रही माँ

 

मेरे सपनों में परिया फूल तितली भी तभी तक थे.

मुझे आंचल में लेकर अपने लेटी रही माँ.

 

बड़ी छोटी रकम से घर चलाना जानती थी माँ

कमी थी बड़ी पर खुशियाँ जुटाना जानती थी माँ.

 

मै खुशहाली में भी रिश्तो में दुरी बना पाया.

गरीबी में भी हर रिश्ता निभाना जानती थी माँ.

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