KAHIN YE MERI ZINDAGI TO NAHI

Posted on 21st Feb 2020 by sangeeta

इन अंधेरों में मुझे एक रौशनी सी दिखती है…

 

कहीं ये मेरी ज़िन्दगी तो नहीं!

 

जैसे वादियों में शामिल कोई नमी सी दिखती है…

कहीं ये मेरी ज़िन्दगी तो नहीं!

 

में तन्हां बैठा हूँ, किसी पेड की छांव में और वो फुल की एक कली सी दिखती है…

कहीं ये मेरी ज़िन्दगी तो नहीं!

 

हो शामिल जैसे हर जश्न में एक ख़ुशी और वो ख्वाबों की परी सी दिखती है…

कहीं ये मेरी ज़िन्दगी तो नहीं!

 

जब हर चीज को पाने को मचलता हूँ में, और वो खिलखिलाती एक तितली सी दिखती है

कहीं ये मेरी ज़िन्दगी तो नहीं!

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