KISI OR KO UDHAR DIYA TUMNE

Posted on 19th Feb 2020 by sangeeta

छुप छुप के जो तरसाया था

देखा होगा रात का चाँद तुमने।

 

जान कर अनजान जो बने थे,

सीखा होगा नज़रे चुराना तुमने।

 

छोड़ कर हाथ जो कभी थामा था,

दिया होगा फिर किसी और को उधार तुमने।

Other poetry