KUCHH SAPNE

Posted on 15th Feb 2020 by sangeeta

कुछ छोटे सपनो के बदले,बड़ी नींद का सौदा करने,

निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे !

वही प्यास के अनगढ़ मोती,वही धूप की सुर्ख कहानी,

वही आंख में घुटकर मरती,आंसू की खुद्दार जवानी,

हर मोहरे की मूक विवशता,चौसर के खाने क्या जाने

हार जीत तय करती है वे, आज कौन से घर ठहरेंगे

निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे !

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