LIKHTI HU TUMHARE INTEZAAR MAI

Posted on 16th Mar 2020 by sangeeta

लिखती हूँ मैं,

तेरे इजहार का इंतजार करती हूँ,

क्यूं जाने तुझमें हर रोज अपनी तलाश करती हूँ,

मिलने का तुमसे दिन – रात आस रखती हूँ,

तस्वीर तेरी अपने पास रखती हूँ,

एक मुस्कान के लिए तेरी में इतनी बार हार सकती हूँ,

तेरी हर बुरी आदत से लगाव रखती हूँ,

इसलिए मुझे अकेली और निक्कमी मत समझना,

क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ।

Other poetry