mei or meri tanhai

Posted on 22nd Feb 2020 by sangeeta

मैं अकेला कब था ,मैं था और मेरी तनहाई थी, 

कुछ अधुरे सपने ,मेरी मुश्किलें ,मेरी कठनाई थ

, मैं अकेला कब था ,मैं था और मेरी तनहाई थी ।

 मेरे भावनाओं से खेला मेरे ऊसुलों का दाम लगा के, 

बेबसी हँस रही थी मुझ पर कायरता का इल्जाम लगा के,

 चुप था मैं पर लड़ रही सबसे मेरी परछाई थी,

 मैं अकेला कब था ,मैं था और मेरी तनहाई थी ।

Other poetry