MERI KALAM OR DAWAAT

Posted on 4th Mar 2020 by sangeeta

ये कैसे अद्भूत मोती अल्फाजों के अ मालिक तूने मेरे ख्यालों में बो दिए

जब भी देखा कोई कोरा कागज मेरी कलम और दवात रो दिए

 

बेवजह बरसाई तूने रहमतों की बरसात क्रकीट के जंगलो पर

हजारों करोड़ो अनमोल मोती तूने बिन बात के खो दिये

 

जिन आशियानों को इंसानो ने बनाकर कभी संभाला ही नहीं

नेक दिल परमात्मा ने करके बरसात सारे के सारे धो दिये

Other poetry