Meri Priya ki ankhen kahin se nahi

Posted on 20th Feb 2020 by sangeeta

मेरी प्रिया की आँखें कहीं से नहीं है सूरज की तरह,

और कतई भी नहीं हैं उसके होंठ लाल मूँगे की तरह,

बर्फ़ की श्वेत चादर की भाँति नहीं हैं उसके गेहुए वक्ष,

और केश हैं उसके गुँथी हुए काली रस्सियों की तरह ।

मैंने देखा है लाल और सफ़ेद गुलाबों को दमिश्क होते हुए,

पर सच कहूँ तो वह रँग कहीं भी उसके गालों पर है ही नहीं,

सत्य है कि कर देते हैं कुछ इत्र जीवन का हर कण सुगन्धित,

परन्तु उन इत्रों की एक बूँद भी मेरी प्रिया की साँसों में नहीं 

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