na jaane kahan bitate hai

Posted on 18th Feb 2020 by sangeeta

दोस्ती किस तरह निभाते हैं, मेरे दुश्मन मुझे सिखाते हैं।

नापना चाहते हैं दरिया को, वो जो बरसात में नहाते हैं।

ख़ुद से नज़रें मिला नही पाते, वो मुझे जब भी आजमाते हैं।

ज़िन्दगी क्या डराएगी उनको, मौत का जश्न जो मनाते हैं।

ख़्वाब भूले हैं रास्ता दिन में, रात जाने कहाँ बिताते हैं।

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