saadgi ka soch

Posted on 18th Feb 2020 by sangeeta

तू कर रहा सफ़र ,करके बन्द दरवाज़ा

जो पायदान पे है उसकी बेबसी का सोच

हमेशा याद रहा तुझ को राम का बनवास

कभी तू बैठ के थोड़ा-सा जानकी का सोच

हमें तो मौत भी लगती है हमसफ़र अपनी

हमारी फ़िक्र न कर अपनी ज़िन्दगी का सोच

निज़ाम छोड़ के जिसने फ़क़ीरी धरण की

अमीरे-शहर, उस गौतम की सादगी का सो़च

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