saikil ke pahiy fir se ghumay

Posted on 25th Feb 2020 by sangeeta

चलो फिर से बच्चे बन जाते हैं

लौट कर फिर एक बार स्कूल चले जाते हैं ..

बाज़ार के खिलौनों को चलो अपना बनाते हैं ..

छोटे से मोहल्ले में फिर से दौड़ लगाते हैं ..

चलो फिर से बच्चे बन जाते हैं ।

स्कूल की प्रेयर में आंखे खोल मुस्कुराते हैं ..

दोस्तों के साथ लुका-छिपी खेलने जाते हैं ..

साइकिल के पहिए फिर से घुमाते हैं ..

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