SHAAM KI TARAH

Posted on 27th Feb 2020 by sangeeta

शाम की तरह हम ढलते जा रहे है,

बिना किसी मंजिल के चलते जा रहे है।

लम्हे जो सम्हाल के रखे थे जीने के लिये ,

वो खर्च किये बिना ही पिघलते जा रहे है।

 

धुये की तरह विखर गयी जिन्दगी मेरी हवाओ मैं,

बचे हुये लम्हे सिगरेट की तरह जलते जा रहे है।

 

जो मिल गया उसी का हाथ थाम लिया,

हम कपडो की तरह हमसफर बदलते जा रहे है।

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