tum or hum ajnabi ek raho pe

Posted on 18th Feb 2020 by sangeeta

एक अजनबी तुम एक अजनबी हम अनजानी राहों में मिल जाएंगे

कुछ कहो तो सही गर बात होगी, तो तनहा न ये रात होगी

ये खामोश लब खुद-ब-खुद मुस्कुरायेंगे कुछ कहो तो सही

गमों को उतार इन एहसासों में डूबकर तो देखो ज़ख्म खुद-ब-खुद भर जाएंगे

कुछ कहो तो सही हाथों में हाथ होगा, एक-दूजे का साथ होगा

ये दृग-मेघ खुद-ब-खुद बरस जाएंगे कुछ कहो तो सही

वक्त के उन क्रूर पलों को बिसार दो कुछ इबादत तुम्हारी कुछ दुआ हमारी रंग लाएंगे

कुछ कहो तो सही ये असहज मौन न साधो क्या भरोसा इन लम्हों का कब बिछड़ जाएंगे

कुछ कहो तो सही ।

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