TUMHARI MUSKAN HO MERA JIWAN

Posted on 18th Feb 2020 by sangeeta

जिस क्षण तुम मुझे स्वयं से अलग करो,

वह मेरे जीवन का अन्तिम क्षण हो।

न चाह रहे फिर कुछ पाने की,

मृत्यु पार भी सिर्फ तुम ही तुम हो।

 

विलग होकर तुमसे मिले अमरता,

हँसकर वह भी मुझे अस्वीकार हो।

या दे ईश्वर सारा जग मुझको तुम बिन,

कोई स्वार्थ कभी न तुमसे बढ़कर हो।

 

प्रेम में तुम पर मेरा सब न्योछावर,

तुम्हारी पीड़ा पहले मुझको हासिल हो।

कभी न तुम तक पहुंच सके कोई दुख,

बस तुम्हारी मुस्कान हो मेरा जीवन हो।

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