WO HUMDUM NAYI BEDAD KARTE HAI

Posted on 24th Feb 2020 by sangeeta

इलाही ख़ैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं, हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं कभी आज़ाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैं मगर इस पर भी हम सौ जी से उनको याद करते हैं असीराने-क़फ़स से काश, यह सैयाद कह देता रहो आज़ाद होकर, हम तुम्हें आज़ाद करते हैं रहा करता है अहले-ग़म को क्या-क्या इंतज़ार इसका कि देखें वो दिले-नाशाद को कब शाद करते हैं यह कह-कहकर बसर की, उम्र हमने कै़दे-उल्फ़त में वो अब आज़ाद करते हैं, वो अब आज़ाद करते हैं

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