एक अजनबी तुम एक अजनबी हम अनजानी राहों में मिल जाएंगे
कुछ कहो तो सही गर बात होगी, तो तनहा न ये रात होगी
ये खामोश लब खुद-ब-खुद मुस्कुरायेंगे कुछ कहो तो सही
गमों को उतार इन एहसासों में डूबकर तो देखो ज़ख्म खुद-ब-खुद भर जाएंगे
कुछ कहो तो सही हाथों में हाथ होगा, एक-दूजे का साथ होगा
ये दृग-मेघ खुद-ब-खुद बरस जाएंगे कुछ कहो तो सही
वक्त के उन क्रूर पलों को बिसार दो कुछ इबादत तुम्हारी कुछ दुआ हमारी रंग लाएंगे
कुछ कहो तो सही ये असहज मौन न साधो क्या भरोसा इन लम्हों का कब बिछड़ जाएंगे
कुछ कहो तो सही ।
ME TERI NA BANOO TO KEHNA
मैं मोहब्बत हूँ मोहब्बत करके देख,
Love At First Sight
When first we touched,
MAN SE SWIKAR
एक पहल रिश्ते की ओर (कविता का शीर्षक )
EK BAAR HIMAT JUTAYA BHI
एक बार हिम्मत जुटाया भी
Hum bhi mohabbat karte the
Jab tere shahar mein raha karte the,
If Only Walls Cloud Talk
If only walls could talk,
Sadakin bhi suni si lagti hain
Lagta hai us se mohabbat hone lagi hai
AB HAME NIND NAHI AATI
Ab humein neend nahi aati,
ALFAZON KI KAMI
रात की इस ख़ामोशी में
NIND TO ABHI BHI NAHI AATI
नींद तो अब भी नहीं आती,