रात की इस ख़ामोशी में
इस कलम की सरगोशी में
मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हु।
यूह तोह मेरी होके भी यह कलम
तुम्हारी ही बातें करती है सनम
चाहती हु आज यह मेरी सुने
मेरी भी आज यह लिखे
वोह बात जो मैं बताना चाहती हु।
मालुम है तुम इसे नादानी कहते हो
कुछ मेरे इश्क़ की बदनामी कहते हो
बे-पायान होती है मोहोब्बत कुछ को
तुम्हे समझाना चाहती हु।
तुम्हारे साथ होके भी
तुम्हसे दूर रहके भी
इस बे-बाक मोहोब्बत को,
बिना किसे शिकायत के करना जानती हु।
इन आँखों की नमी में
अल्फाज़ो की कमी में
बस यही कहना चाहती हु;
इश्क़ मंज़िल है यह,
कोई राह नहीं जो मोड़ना चाहती हु।
I start my journey on having faith
That someday I'll find my day
I know this day
Time is like the wind,
Slow and smooth.
Time can change swiftly,
Fast and
A rose for every year,
many smiles for every tear
Way more of the first than ever
I never knew love until I found you.
Always thought it was a myth until you showed me it
I knew the day we met
That we were meant to be.
I knew our fate was set,
क्यों यह दुनिया दूसरे से इतनी ज्यादा
जिस क्षण तुम मुझे स्वयं से अलग करो,
Deedar a nazar na sahi sapno me aate rahiye
Mulakaton ka silsila yoon hi chalte rahne do<
मैं लिखता हूँ,
कागज और कलम से प्यार
जाने भी दो यारों
जाने भी दो यारों