नव-जीवन का वैभव जाग्रत हो जनगण में,
आत्मा का ऐश्वर्य अवतरित मानव-मन में!
रक्त-सिक्त धरणी का हो दु:स्वप्न-समापन,
शांति-प्रीति-सुख का भू स्वर्ण उठे सुर मोहन!
भारत का दासत्व दासता थी भू-मन की,
विकसित आज हुई सीमाएँ जन-जीवन की!
धन्य आज का स्वर्ण-दिवस, नव लोक जागरण,
नव संस्कृति आलोक करे जन भारत वितरण
Poem For A Friend
If I could write a poem,
Go With Grace
Each morning of this month
chandan se kum nahi hai mati hamare desh ki
नदी, झील, झरनों की झाँकी मनमोहक है,सुमनों से सजी घाटी-घाटी मेरे देश
Finding Hope
I've always viewed life from the sidelines,
such a wonderful collection
So pause lots,
kuch dost purane yaad ate hai
मैं यादों की किताब खोलू तो कुछ हंसते गाते चेहरे नजर आते है,
CHHOTA YE SANSAAR
गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है।
Somewhere I Have Never Travelled, Gladly Beyond
somewhere I have never traveled, gladly beyond
TUM OR TUMHEN
मगर, सच तो यह है कि
After The Party
It's getting late, I must go