beet gayi zindgi

Posted on 14th Feb 2020 by sangeeta


सोचा था संवारेंगे तुझे ऐ! ज़िन्दगी,
देकर तुझे स्वप्नों के कुछ नए रंग।
पर तुझको सवांरते,
और तुझको निखारते,
न जाने कितने दिन बीत गए ऐ! ज़िन्दगी।

आज सोचा तो जाना,
जो जीते थे अब तक...वो ज़िन्दगी न थी।
जिसको सवांरते,
जिसको निखारते,
न जाने कितने दिन बीत गए ऐ! ज़िन्दगी।

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