DIL KA TAMASHA

Posted on 19th Feb 2020 by sangeeta

आज रात फिर वही सन्नाटा है

ना तेरी आवाज़ है

ना तेरी मौजूदगी

तोह फिर क्यों दिल कर रहा तमाशा है?

 

कह गए थे तुम की ना अब कोई नाता है

ना प्यार बचा है

ना कोई उम्मीद

तोह फिर क्यों दिल कर रहा तमाशा है?

 

तुम्हारी जुबां पे ना नाम मेरा अब आता है

ना आँखें पुकारती है

ना पुछती हाल मेरा

तोह फिर क्यों दिल कर रहा तमाशा है?

Other poetry