Dil ko kisi ki aas nahi

Posted on 11th Mar 2020 by sangeeta

दिल को किसी की आस नहीं है,

आंखों में किसी की प्यास नहीं है।

ये दौर है तन्हाइयों का दौर,

खुद के सिवा कोई साथ नहीं है।

अपनो ने ही मुझे बर्बाद कर दिया,

गैरों का इसमें कोई हाथ नहीं है।

सारे ग़मों को सुलाकर सो जाऊँ,

नसीब में वो सुकूँ की रात नहीं है।

गलती मेरी थी जो मैंने प्यार किया,

खैर अब किसी से शिकायत नहीं है।

कोई तुझे चाहे कोई तुझे भी प्यार करे,

'बिलगे' शायद तुझमें वो बात नहीं है।

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