ITNI TANHAI

Posted on 27th Feb 2020 by sangeeta

इतनी तन्हाइयाँ हैं,

डर भी सकती हूँ,

दर्द -ओ- ग़म की आँधियों से,

टूट कर बिखर भी सकती हूँ,

तुम मुझसे दूर तो चले गये,

पर ये तलक कभी नहीं सोचा,

मैं तो पागल हूँ,

मर भी सकती हूँ ?

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