JHANDA LEHRATA RAHE YAHI ORIT RE

Posted on 20th Feb 2020 by sangeeta

गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे |

जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे ||

सभी मनाते पर्व देश का आज़ादी की वर्षगांठ है |

वक्त है बीता धीरे धीरे साल एक और साठ है ||

बहे पवन परचम फहराता याद जिलाता जीत रे |

गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे |

जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे ||

जनता सोचे किंतु आज भी क्या वाकई आजाद हैं |

भूले मानस को दिलवाते नेता इसकी याद हैं ||

मंहगाई की मारी जनता भूल गई ये जीत रे |

गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे |

जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे ||

हमने पाई थी आज़ादी लौट गए अँगरेज़ हैं |

किंतु पीडा बंटवारे की दिल में अब भी तेज़ है ||

भाई हमारा हुआ पड़ोसी भूले सारी प्रीत रे |

गली गली में बजते देखे आज़ादी के गीत रे |

जगह जगह झंडे फहराते यही पर्व की रीत रे 

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