KABHI DHOOP TO KABHI CHHAON

Posted on 22nd Feb 2020 by sangeeta

कभी धूप कभी छाया है

कभी सत्य कभी माया है

बीत रही इस जिंदगी का

राज़ किसने पाया है?

 

कभी आस कभी विश्वास है

खुशदिल है कभी उदास है ,

महफ़िलों में नजर नहीं आती है

तन्हाई में दुश्मन जैसे पास है,

कभी हंसाया है इसने जी भर कर हमें

और कभी जी भरकर रुलाया है,

बीत रही इस जिंदगी का

राज किसने पाया है?

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