ME APNI NADAIYON KO KOS RAHI THI

Posted on 18th Feb 2020 by sangeeta

बेफिक्र हो चली थी ज्योंही तुम्हारा काँधा मिला था 

शाम ढलते ढलते तुम्हारे मेरे रास्ते बदल गये थे 

समझा लिया था दिल को उज्ज्वल भविष्य की आशा में 

सच कहती हूँ प्रियवर लौटते हुए हजार टुकड़े हुए थे 

जीवन में एक पल को अँधेरा होने लगा था 

पर सुकुन था एक दिन में महीनों के लम्हे जी लिए थे 

थामकर हाथ तुम्हारा छोड़ने का मन तो नही था 

फिर मिलेंगे ये सोचकर हम दोनो तसल्ली कर लिये थे 

घर को लौट आयी थी लेकर तुम्हारी खुश्बू 

तुम्हारे दिये हुए सभी खत आज कई दफा पढ़ लिये थे 

बार बार अपनी नादानियों को कोस रही थी 

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