mujhe kya fikar

Posted on 25th Feb 2020 by sangeeta

उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ …

ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |

 

लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख – मिचौली का …

मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हूँ l

 

चल मान लिया दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक

गिरेबान में अपने ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ l

 

ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हें मुबारक …

मुझे क्या फ़िक्र मैं कश्तियां और दोस्त बेमिसाल लिए बैठा हूँ

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