NEEND UD GAYI PATA HI NA CHALA

Posted on 22nd Feb 2020 by sangeeta

जिंदगी की आपाधापी में कब हमारी उम्र निकली पता ही नहीं चला|

 

कंधे पर चढ़ने वाले बच्चे कब कंधे तक आ गए पता ही नहीं चला|

 

किराए के घर से शुरू हुआ सफर कब अपने घर तक आ गया पता ही नहीं चला|

 

साइकिल के पैडल मारते हुए हाँफते थे उस वक्त, कब गाड़ियों  में घूमने लगे, पता ही नहीं चला|

 

हरे भरे पेड़ों से भरे हुए जंगल थे तब, कब हुए कंक्रीट के पता ही नहीं चला|

 

कभी थे  जिम्मेदारी मां बाप की हम, कब बच्चों के लिए हुए जिम्मेदार हम पता ही नहीं चला|

 

एक दौर था जब दिन में भी बेखबर सो जाते थे कब रातों की नींद उड़ गई पता ही नहीं चला|

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