azadi hum hargiz hata nahi sakte

Posted on 17th Feb 2020 by sangeeta

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नही,

 सर कटा सकते हैं लेकिन सिर झुका सकते नही,

 हमने सदियो में यह आज़ादी की नेमत पाई है,

 सैकड़ो कुर्बानी देकर यह दौलत पाई है,

 मुस्कुरा खाई हैं सीने पे अपने गोलिया, 

कितने वीरो से गुज़रे तो जन्नत पाई है,

 खाक में हम अपनी इज़्ज़त को मिला सकते नही,

 अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नही,

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