banta mitta hua me

Posted on 17th Feb 2020 by sangeeta

किशमिश सी जलती मस्तियाँ लपट- झपट उठता मीठा मीठा

 धुआँ ओस से भीगे घास पे धधकते कोयले फिर भी 

ठण्ड से काँपती सिकुड़ती वादियाँ ! सिलवटों के

 सिलसिले में सिमटा हुआ मैं वो सर्दियों में गर्मियों

 के दिन गिनता हुआ मैं अन्घुआया हुआ निहारता

 तेरी अंगड़ाई पानी के बुलबुलों सा बनता मिटता हुआ मैं 

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