CHUN CHUN KAR

Posted on 7th Mar 2020 by sangeeta

मैं जिसमें चुन -चुन कर कदम रखती हूँ,

जीवन का वो हर मार्ग मैं खुद ही बनाती हूँ।

एक भूलभूलैया सा नज़र आता है खुद की आँखों में,

मै अपनी नज़रों में ही खो जाती हूँ।

जीवन किसी रेल सा गुजरता है,

मैं किसी पुल की भाँति कंपकंपाती हूँ।

मै जिसमें चुन-चुन कर कदम रखती हूँ,

जीवन का वो मार्ग मैं खुद ही बनाती हूँ।

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