KISSI PED KI CHHAW ME

Posted on 9th Mar 2020 by sangeeta

किसी पेड़ की छाँव में  किसी की राह तकते 

कोई लङकी बैठती है बिल्कुल वैसे ही मैं हूँ अभी 

खिङकी तकती कभी दरवाजे की आहट सुनती कभी 

लगता किसी का इन्तजार हो पर अभी तो कोई आने वाला नहीं

कोयल की आवाज आती है सुबह बैचैन रहती है 

शाम को बाँबरी हो जाती है 

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