kuch dost purane yaad ate hai

Posted on 18th Feb 2020 by sangeeta

मैं यादों की किताब खोलू तो कुछ हंसते गाते चेहरे नजर आते है,

गौर से देखा तो कुछ दोस्त पुराने याद आते है।

कुछ शहरों के गुलाम हो गए तो कुछ सपनों के गुलाम हो गए।

यादें और गहरी हुई तो गुलाल में रंगे कुछ चेहरे याद आते है,

गौर से देखा तो कुछ दोस्त पुराने याद आते है। धूल को उड़ते और

बारिश की बूंदों को टपकते देखा तो, कुछ दोस्त पुराने याद आते है।

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