ALFAZON KI KAMI

Posted on 19th Feb 2020 by sangeeta

रात की इस ख़ामोशी में

इस कलम की सरगोशी में

मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हु।

 

यूह तोह मेरी होके भी यह कलम

तुम्हारी ही बातें करती है सनम

चाहती हु आज यह मेरी सुने

मेरी भी आज यह लिखे

वोह बात जो मैं बताना चाहती हु।

 

मालुम है तुम इसे नादानी कहते हो

कुछ मेरे इश्क़ की बदनामी कहते हो

बे-पायान होती है मोहोब्बत कुछ को

तुम्हे समझाना चाहती हु।

 

तुम्हारे साथ होके भी

तुम्हसे दूर रहके भी

इस बे-बाक मोहोब्बत को,

बिना किसे शिकायत के करना जानती हु।

 

इन आँखों की नमी में

अल्फाज़ो की कमी में

बस यही कहना चाहती हु;

इश्क़ मंज़िल है यह,

कोई राह नहीं जो मोड़ना चाहती हु।

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