mati mere desh ki

Posted on 26th Feb 2020 by sangeeta

नदी, झील, झरनों की झाँकी मनमोहक है,

सुमनों से सजी घाटी-घाटी मेरे देश की।

सुरसरिता-सी सौम्य संस्कृति की सुवास,

विश्व भर में गई है बाँटी मेरे देश की।

 

पूरी धऱती को एक परिवार मानने की,

पावन प्रणम्य परिपाटी मेरे देश की।

शत-शत बार बंदनीय अभिनंदनीय,

चंदन से कम नहीं माटी मेरे देश की।

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