मज़हब जुदा सही वतन तो एक है, है फूल रंग रंग के चमन तो एक है,
मज़हब के लिए मुल्क़ गाफिल तो नही हम,
है अमन है हमी कोई बुजदिल तो नही हम,
झुक सकता नही ज़ुल्म के आगे ये तिरंगा,
इस पर तो बहा सकते हैं खून की गंगा,
हिंदू की नही है किसी मुस्लिम की नही है,
है हिंद जिसका नाम शहीदो की जमी हैं,
भगतसिंह ने इसे सिंचा है खून से, दुश्मन के होश
उड़ गये जिसके जुनून से, भूलेगा न भारत कभी
अब्दुल हामिद को, जिसने की मिलाया है
दीवाली से ईद को,मज़हब जुदा सही वतन तो एक है, है फूल रंग रंग के चमन तो एक है,
jiwant mera prem saans leta hai
उसकी हर बात घोलती है मेरे कानों में अ
एक पहल रिश्ते की ओर (कविता का शीर्षक )
लाल रक्त से धरा नहाई,
श्वेत नभ पर ल
यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्म
The years are taking their toll.
Another birthday has now arrived.
People you mee
You are my sunshine.
You are my shining star.
Everything I'm not,
You are
Mere sapne kyon tut gaye,
Wo humse kyon ruth gaye,
Dekar shila mohabbat ka mujhe,
यूँ जिन्दगी के ख्वाब दिखा गया कोई,
When I Die I Want Your Hands On My Eyes
When I die I want your hands on my eyes:
I want the light and the wheat of your beloved h
It wrecks me, that last moment
that played out so wrong.
Our hopeless eyes locked