मज़हब जुदा सही वतन तो एक है, है फूल रंग रंग के चमन तो एक है,
मज़हब के लिए मुल्क़ गाफिल तो नही हम,
है अमन है हमी कोई बुजदिल तो नही हम,
झुक सकता नही ज़ुल्म के आगे ये तिरंगा,
इस पर तो बहा सकते हैं खून की गंगा,
हिंदू की नही है किसी मुस्लिम की नही है,
है हिंद जिसका नाम शहीदो की जमी हैं,
भगतसिंह ने इसे सिंचा है खून से, दुश्मन के होश
उड़ गये जिसके जुनून से, भूलेगा न भारत कभी
अब्दुल हामिद को, जिसने की मिलाया है
दीवाली से ईद को,मज़हब जुदा सही वतन तो एक है, है फूल रंग रंग के चमन तो एक है,
I'm no longer whole
And sadly neither is he
We've been locked out by pain
Shadows on the wall
Noises down the hall
Life doesn't frighten me at all
A bunch of flowers,
A homemade cake,
That special gift,
A birthday steak.
हम बच्चे हँसते गाते हैं।
हम आगे बढ
I saw her during recess
And then again at lunch
I kinda liked to tease her
<आज रात दुख वाली है तो कल दिवाली है,
एक पहल रिश्ते की ओर (कविता का शीर्षक )
पानी के बिना नदी बेकार है,
अत
दिल को किसी की आस नहीं है,
आंखों मे
It wrecks me, that last moment
that played out so wrong.
Our hopeless eyes locked