अरूजे कामयाबी पर कभी तो हिन्दुस्तां होगा ।
रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियां होगा ।।
चखायेगे मजा बरबादिये गुलशन का गुलची को ।
बहार आयेगी उस दिन जब कि अपना बागवां होगा ।।
वतन की आबरू का पास देखें कौन करता है ।
सुना है आज मकतल में हमारा इम्तहां होगा ।।
जुदा मत हो मेरे पहलू से ऐ दर्दें वतन हरगिज ।
न जाने बाद मुर्दन मैं कहां.. और तू कहां होगा ।।
यह आये दिन को छेड़ अच्छी नहीं ऐ खंजरे कातिल !
बता कब फैसला उनके हमारे दरमियां होगा ।।
शहीदों की चिताओं पर जुड़ेगें हर बरस मेले ।
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा ।।
इलाही वह भी दिन होगा जब अपना राज्य देखेंगे ।
जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा ।।
दिल को किसी की आस नहीं है,
आंखों मे
जो कभी अपने समय को यों बिताते है नहीं
Love sits on my shoulder and whispers in my ear.
It tells me how you love me and the word
Stress is eating at me every minute and second of the day, how do I cope with the horrible effect
Enough Hurting Those Who Love You
Wondering why you have so much hate
Before you see it will be too late
Trying to
ये तो फूल है जिन्दगी की राहों को महका
I come with no wrapping or pretty pink bows.
I am who I am, from my head to my toes.
बस थोड़ी सी देर के लिए तुम्हारा मुझसे