अरूजे कामयाबी पर कभी तो हिन्दुस्तां होगा ।
रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियां होगा ।।
चखायेगे मजा बरबादिये गुलशन का गुलची को ।
बहार आयेगी उस दिन जब कि अपना बागवां होगा ।।
वतन की आबरू का पास देखें कौन करता है ।
सुना है आज मकतल में हमारा इम्तहां होगा ।।
जुदा मत हो मेरे पहलू से ऐ दर्दें वतन हरगिज ।
न जाने बाद मुर्दन मैं कहां.. और तू कहां होगा ।।
यह आये दिन को छेड़ अच्छी नहीं ऐ खंजरे कातिल !
बता कब फैसला उनके हमारे दरमियां होगा ।।
शहीदों की चिताओं पर जुड़ेगें हर बरस मेले ।
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा ।।
इलाही वह भी दिन होगा जब अपना राज्य देखेंगे ।
जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा ।।
चिश्ती ने जिस ज़मीं पे पैग़ामे हक़ सु
If you think you can reach the sky,
Why don't you flap your wings to fly?
Always
गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह
May your blessings be many
and your troubles be few.
And may you feel God's prese
Dil mein dard hotho pe muskurahat ho
Aisa lage zindagi se koi shikayat na ho
Phir
एक पहल रिश्ते की ओर (कविता का शीर्षक )
यदि एक औरत
अपने आत्मसम्मान के ल
Bus yahi dua mangi thi bhagwaan se,
Dena mujhe hausna ladne ka insaan se,<
LIKHTI HU TUMHARE INTEZAAR MAI
लिखती हूँ मैं,
तेरे इजहार का इंतजा
If only walls could talk,
They'd tell you about me,
And how they hear me scream