“मन जहां डर से परे है
और सिर जहां ऊंचा है;
ज्ञान जहां मुक्*त है;
और जहां दुनिया को
संकीर्ण घरेलू दीवारों से
छोटे छोटे टुकड़ों में बांटा नहीं गया है;
जहां शब्*द सच की गहराइयों से निकलते हैं;
जहां थकी हुई प्रयासरत बांहें
त्रुटि हीनता की तलाश में हैं;
जहां कारण की स्*पष्*ट धारा है
जो सुनसान रेतीले मृत आदत के
वीराने में अपना रास्*ता खो नहीं चुकी है;
जहां मन हमेशा व्*यापक होते विचार और सक्रियता में
तुम्*हारे जरिए आगे चलता है
और आजादी के स्*वर्ग में पहुंच जाता है
ओ पिता
मेरे देश को जागृत बनाओ”
Bas chalta ja tu sahi dagar,
Or peeche kabhi na mudna tu.
Jab pahuchega tu manzil
TERE INTEZAR SE MOHABBAT KI HAI
तेरे लिबास से मोहब्बत की हैं,
तेरे
इतनी तन्हाइयाँ हैं,
डर भी सकती हूँ,
एक पहल रिश्ते की ओर (कविता का शीर्षक )
एक पहल रिश्ते की ओर (कविता का शीर्षक )
Relationships are like lemons,
sour but sometimes sweet,
a kiss is like a cherry,
The world just sometimes feels like
I don't fit and don't belong,
And even when I
जहां तेरे पैरों के कँवल गिरा करते थे
BEWAJAH HUM MOHABBAT KARTE THE
Aankhein jo khuli thi to unhe apne kareeb paya naa tha
Kabhi they ruh mein shamil aaj unk
किसी पेड़ की छाँव में किसी की राह त