मोम की मानिंद, कैसे पिघल-पिघल जाते हैं,
ढलती रेत से हाथों से फिसल जाते हैं, लम्हे ।
किताब के सूखे फूल-सी धुंधली याद बन जाते हैं,
तब सफर में हमसफर सा साथ दे जाते हैं लम्हें। > जब छलक कर नम आंखों का जल बन जाते हैं,
वो लम्हे, नासूरी का लम्हा-लम्हा दर्द दे जाते हैं। > कभी शब्दों का, कभी लफ्जों का खेल, खेल जाते हैं,
कभी कलम के फूल, बन अंगार ढह जाते हैं, लम्हे।
मीठी-मीठी बातों में चुप के सौ पहरे बन जाते हैं,
फिर रूह को छूकर अनकहे ही गुजर जाते हैं, लम्हें।
जब ठहरे पानी में पत्थरों से, हलचल कर जाते हैं,
वो लम्हे, आईने को तकते, एक इतिहास बन जाते हैं।
जो चोट खाकर बैठे है वो शायर बन बैठे है<
चलो फिर से बच्चे बन जाते हैं
लौट कर
संकट अपना बाल सखा है, इसको कठ लगाओ
When a friend calls to me from the road
And slows his horse to a meaning walk,
I
This life is a wonderful gift .. accept it, embrace it.
It starts with a new day ..
when you went away my world turned cold and gray.
when you wanted to leave I begged you t
नव-जीवन का वैभव जाग्रत हो जनगण में,
Teri Palko Ki Chaow Me Hi Guzre Meri Raate...
Tujhse Hi Shuru Ho Tujh Pe Hi Khtam Ho Meri
We started as strangers.
We fell and became lovers.
We started with a, "Hi,"
कसम से मेरे अंदर कुछ तो कमाल कर गया बह