मोम की मानिंद, कैसे पिघल-पिघल जाते हैं,
ढलती रेत से हाथों से फिसल जाते हैं, लम्हे ।
किताब के सूखे फूल-सी धुंधली याद बन जाते हैं,
तब सफर में हमसफर सा साथ दे जाते हैं लम्हें। > जब छलक कर नम आंखों का जल बन जाते हैं,
वो लम्हे, नासूरी का लम्हा-लम्हा दर्द दे जाते हैं। > कभी शब्दों का, कभी लफ्जों का खेल, खेल जाते हैं,
कभी कलम के फूल, बन अंगार ढह जाते हैं, लम्हे।
मीठी-मीठी बातों में चुप के सौ पहरे बन जाते हैं,
फिर रूह को छूकर अनकहे ही गुजर जाते हैं, लम्हें।
जब ठहरे पानी में पत्थरों से, हलचल कर जाते हैं,
वो लम्हे, आईने को तकते, एक इतिहास बन जाते हैं।
वक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे,
इन्सान
The past is the past for a reason.
That is where it is supposed to stay,
But some
When we were born with no possession.
The love received was our concession.
No wo
I am worthy. There is nothing
that can or will happen today that
could convince m
The Years have passed by,
In the blink of an eye,
Moments of sadness,
And
jiwan ki dhara chalne do
जीवन की धरा को अविरल बहने दो
कर्म के पथ
ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का
Sorry
It is a word
It has no substance
I cannot hold it
Nor can I
कोई आपके लिए रूपये खर्च करेगा तो कोई,
Just for today,
Can we forget about race,
Colour, religion