
भारत और दुनिया के बाजारों में कोरोना महामारी फैल गई है। बाजारों के रुख को देखकर तो ऐसा लगता है कि 2020 की मंदी 2008 की वैश्विक मंदी से बड़ी हो गई है। इस साल अब तक 71 दिन में ही सेंसेक्स 7 बार 700 से ज्यादा अंक गिर चुका है। तीन बार एक हजार से ज्यादा अंक की गिरावट हुई है। 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में छह बड़ी गिरावटें 10 महीनों में हुई थीं। तब सालभर में एक हजार से ज्यादा अंकों की दो ही गिरावट हुई थीं। सबसे ज्यादा 1408 प्वाइंट्स सेंसेक्स गिरा था। इस साल 28 फरवरी को 1448 अंक गिरा, 9 मार्च को 1942 अंक गिरा, आज यह गिरावट 2500 को भी पार कर गई।
गौर करने वाली बात यह है कि 2008 की 6 में से पांच बड़ी गिरावटें जनवरी से मार्च महीने(54 दिन में) के बीच हुई थीं। इस साल अब तक की सभी बड़ी गिरावटें इन्हीं तीन महीनों (64 दिन में) हुई हैं।
इस साल 7969 प्वाइंट्स तक गिर चुका है सेंसेक्स, 2008 में 10678 अंक गिरा था
इस साल एक जनवरी को सेंसेक्स 41,349 प्वाइंट्स पर खुला था। इस दिन 43 प्वाइंट गिरकर 41,306 प्वाइंट्स पर बंद हुआ था। 9 मार्च को यह 35,300 तक पहुंच गया। 12 मार्च को यह 33,232 पर पहुंच गया, यानी इस साल 7969 प्वाइंट्स तक सेंसेक्स गिर चुका है। जबकि 2008 में 1 जनवरी को सेंसेक्स 20,325 प्वाइंट्स पर खुला था। साल के अंत 31 दिसंबर को 9,647 प्वाइंट्स पर बंद हुआ था। इस साल बाजार 10678 प्वाइंट्स गिरा था। यानी औसतन हर महीने 889 अंक बाजार गिरा था। इस साल बाजार औसतन बाजार 3000 प्वाइंट्स गिर रहा है।
2008 की मंदी का कारण अमेरिकी रियल स्टेट कंपनियों का दिवालिया होना था, इस बार कोरोना और भारतीय बैंकिंग सिस्टम है
2008 की वैश्विक मंदी के पीछे की वजह रियल स्टेट और फाइनेंशियल सेक्टर थे। अमेरिका के सबसे बड़ी रियल स्टेट कंपनियां लीमेन ब्रदर्स, फ्रेडी मैक, फेनी-मे दिवालिया हो गई थीं। इस साल सेंसेक्स की गिरावट के पीछे तीन बड़ी वजह अमेरिका और ईरान के बीच खाड़ी में पैदा हुआ तनाव, कोरोनावायरस, सऊदी अरब क्राउन प्रिंस और भारतीय बैंकिंग सिस्टम है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा कोरोनावायरस (Covid-19) को महामारी घोषित कर दिया गया है। इसका असर भारतीय रुपए पर भी हुआ है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 70 पैसे गिर गया। ये पिछले 17 महीने में रुपए की सबसे बड़ी गिरावट भी है। मौजूदा सत्र के दौरान मुद्रा 74.34 के निचले स्तर पर पहुंच गई। हालांकि, बाद में इसने 74.12 पर व्यापार करने के लिए कुछ नुकसानों की छंटनी की।
बता दें कि दुनियाभर के 100 देशों में कोरोनावायरस के 124,000 से ज्यादा केस सामने आए हैं। जिसमें 4,500 लोगों की मौत भी हो चुकी है। खासतौर पर ईरान और इटली में ये तेजी से फेल रहा है। चीन में 80,000 से ज्यादा लोगों में कोरोनावायरस होने की पुष्टि हुई है, वहीं 3,000 से ज्यादा मौत हो चुकी हैं।
बुधवार को विदेशी बाजार में अमेरिकी डॉलर के कमजोर पड़ने के बीच घरेलू इकाई ग्रीनबैक के मुकाबले 73.64 पर आ गई। इस बारे में एलकेपी सिक्योरिटीज के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट (कमोडिटी एंड करेंसी) जतिन त्रिवेदी ने कहा कि कोरोनावायरस के चलते बाजार ट्रेडिंग को अस्थिर बनाए रखेगा, लेकिन गिरते क्रूड की कीमतें रुपए को मजबूती देंगी।
कोरोनोवायरस के डर से विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटीज को डंप करना जारी रखा। बुधवार को, विदेशी निवेशक 3,515.38 करोड़ रुपए के नेट सेलर थे, जबकि घरेलू निवेशक (DIIs) 2,835.46 करोड़ रुपए के नेट सेलर थे।
सुबह 09:44 बजे, एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 1,650 अंकों या 4.6 फीसदी की गिरावट के साथ 34,052 पर कारोबार कर रहा था, जबकि एनएसई का निफ्टी 50 इंडेक्स अक्टूबर 2017 के बाद पहली बार 10,000 के महत्वपूर्ण स्तर से नीचे फिसल गया।
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